February 7th, 2019 | POLITICS
राजनीति में यूं तो हमेशा दो और दो मिलकर चार नहीं होते है लेकिन मामला डेटा और सोशल मीडिया का है। सियासी डेटा विश्लेषण के आधार पर यही वजह है कि यूपी में गठबंधन के बाद अब राजनीतिक पंडित वोट शेयर के आधार पर भी बीजेपी और सपा-बसपा गठबंधन की मजबूती को आंक रहे हैं।
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भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पार्टी का चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह ने, उत्तर प्रदेश का एक आंतरिक सर्वे करवाया है। अमित शाह द्वारा कराए गए इस सर्वे में जो निष्कर्ष निकल कर सामने आ रहा है उससे पार्टी दिग्गजों की नीदें हराम हो गई है। सपा-बसपा के गठबंधन के बाद कांग्रेस की तरफ से प्रियंका गांधी को सियासत में उतारा जाना, इस सर्वे की प्रमुख वजह मानी जा रही है।
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वहीं पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, यह सर्वे 27 जनवरी से 02 फरवरी के बीच, 80 लोकसभा क्षेत्रों के करीब पौने चार लाख मतदाताओं के बीच करवाया गया है। सूत्रों ने कहा कि सर्वे के आधार पर भाजपा सूबे में नेतृत्व परिवर्तन कर सकती है और किसी बड़े चेहरे को प्रदेश की बागडोर सौंप सकती है।
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इस सर्वे में उत्तरप्रदेश से भाजपा आगामी लोकसभा चुनाव में केवल 7 से 10 सीटें मिलती दिखाई दे रही हैं। वहीं सूत्रों से यह जानकारी भी मिली है कि, साल 2014 के लोकसभा में बीजेपी द्वारा जीती गईं अहम सीटें भी, हाथ से फिसलती दिखाई दे रही हैं। प्रदेश में बुआ-बबुआ का गठबंधन भाजपा पर भारी पड़ता दिखाई दे रहा है।
सपा-बसपा गठबंधन सीधे तौर पर बीजेपी को बड़ा नुकसान पहुंचाएगी। इस गठबंधन के साथ ही प्रियंका गांधी की एंट्री ने भाजपा की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। अब कई लोकसभा सीटों पर भाजपा पिछड़ती दिखाई दे रही है। वहीं सूत्रों के अनुसार कांग्रेस का परम्परागत मतदाता, जो अपनी पार्टी को छोड़ बीजेपी से जुड़ गया था, उसका रुझान एक बार फिर कांग्रेस में बढ़ा है।
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आपको बता दें कि इस सर्वे के अनुसार, तकरीबन पौने चार लाख मतदाताओं से सरकार को लेकर सवाल किए गए। सवालो के आधार पर ही यह तय किया गया की इस बार के चुनाव में जनादेश क्या कहता है। इस सर्वे में यह बात सामने आई कि, सूबे में भारतीय जनता पार्टी की विश्वसनीयता में लगातार कमी आ रही है, और मध्यम वर्ग व पिछड़ा वर्ग जो बीजेपी के कोर वोटर कहे जाते हैं, उनका मोह अब बीजेपी से भंग हो गया है